नारायण बलि पूजा

गरुड़ पुराण के अनुसार, यह पूजा तब की जाती है जब कोई व्यक्ति की असामान्य मृत्यु जैसे बीमारी से मौत, आत्महत्या, जानवरों द्वारा, शाप द्वारा, सांप के काटने से मौत, आदी से होती हैं।

पितृदोष के लक्षण:
  • स्वप्न में नाग दिखाई देना एवं नाग पीछे पड़ जाना।
  • परिवार में आपसी झगड़े होना।
  • संतानसुख का लाभ न होना अन्यथा गर्भपात होना।
  • व्यापार में नुकसान एवं पैसे की बर्बादी होती है।
  • पढ़ाई में मन एकाग्र ना होना।
  • कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं।

नारायण नागबलि पूजा कहाँ करनी चाहिए ?

नारायण नागबलि यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो की मंदिर क्षेत्र में की जाती है। एक प्राचीन हिंदू शास्त्र के अनुसार, धर्म सिंधु में उल्लेख किया है, कि नारायण नागबली पूजा का यह अनुष्ठान किया जाता है।

नारायण बली पूजा को "मोक्ष नारायण बली" पूजा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पूजा परिवार के सदस्यों द्वारा उनके पूर्वजो की इच्छाओं को पूरा करने के लिए की जाती है। मोक्ष का मतलब आत्मा की स्वतंत्रता, मोक्ष नारायण बली अनुष्ठान का अर्थ गरुड़ पुराण के ४० वें भाग में वर्णित है।

नारायण नागबली पूजा की प्रक्रिया :

नारायण नागबली पूजा विभिन्न समस्याओं को मिटाने के लिए की जाती है, जैसे कि भूत प्रेत बाध, व्यापार में विफलता, वित्तीय हानि, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं,शैक्षणिक समस्या, विवाह समस्याएं, आकस्मिक मौतें, अनावश्यक खर्च, और सभी प्रकार के शाप।

नारायण नागबली पूजा की प्रक्रिया को पूरा होने में दिन का समय आवश्यक है। इस पूजा करने से बहुत सरे लाभ होते है जैसे अच्छा स्वास्थ्य, व्यवसाय और व्यापर में सफलता मिलेगी।

यह नारायण नागबली पूजा को कुल ३ दिन का समय आवश्यक है और इसके पहले दिन, भक्त को पवित्र कुशावर्त कुंड में स्नान करना होता है उसके बाद "दशदान" यानी, दस चीजों को दान में देने का संकल्प करना होता है। भगवान शिव की साधना करने के बाद, सभी भक्तो को नारायण नागबली पूजा करने के लिए धर्मशाला जाना होता है। नारायण नागबली पूजा दो दिनों तक गोदावरी और नदी के संगम के स्थान पर सम्पन्न होती है।

सनातन धर्म में सभी पूजाए प्रथम संकल्प, न्यास और कलश पूजन से शुरू होती है। उसके बाद भगवान सूर्य, गणेश, और विष्णु का अनुष्ठान होता है। उसके बाद, पांच देवताओं, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु, भगवान महेश, यम, और तत्पुरुष की पूजा होती है।

फिर क्रमशः अग्नि स्थापना, पुरुषसूक्त हवन, एकादशी विष्णु श्राद्ध, पंचदेवता श्राद्ध बलीदान, पिंड दान, पराशर, और द्वादश कर्म किए जाते हैं।

ऐसे सारे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, यह नारायण नागबली पूजा अनुष्ठान स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ,पारिवारिक समस्याओ से छुटकारा, या किसी साँप मार दिया या काट दिया गया तो यह अनुष्ठान करते है।

नारायण नागबली अनुष्ठान कौन कर सकता है?

  • कोई भी व्यक्ति यह अनुष्ठान कर सकता है।
  • पारिवारिक खुशीके लिए, कोई विधुर भी यह अनुष्ठान कर सकते है।
  • संतान प्राप्ति के हेतु, पति और पत्नी भी नारायण नागबली जैसे पूजाए कर सकते है।
  • गर्भवती महिला को (केवल ५ महीने के गर्भवस्था तक) यह पुजा करने की अनुमति है।
  • कोई भी इस अनुष्ठान को करने के बाद, १ साल तक अपने घर में कोई मंगल कार्य नहीं कर सकता।
  • यदि माता- पिता में से कोई एक की मृत्यु हुई हो तो, १ वर्ष बाद नारायण नागबली अनुष्ठान त्र्यंबकेश्वर मंदिर में करने की अनुमती है।

नारायण नागबली पूजा मूल्य :

पूजा का मूल्य पुरोहितो द्वारा सुझाया जायेगा,और पूरी तरह आवश्यक सामग्री पर निर्भर होगा। उपासक को लगने वाला खाना भी उसमे शामिल होगा। पूजा होने के बाद भक्तो द्वारा ब्राह्मण को दक्षिणा देना अनिवार्य है।

नारायण नागबली पूजा के लाभ :

  • चरम यात्रा की तुलना में पितृ सेवा (नारायण नागबली पूजा करना) अधिक लाभदायक माना गया है, जिससे पूर्वजो का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • अच्छे स्वास्थ और सफलता पाने के लिए।
  • पूर्वजो के दिए गए शाप से मुक्ति पाने के लिए नारायण नागबली की जाती है ।।
  • यह पूजा पितृदोष को मिटाने के लिए की जाती है।
  • संतान प्राप्ति के लिए दम्पति को भी यह अनुष्ठान करना सुझाया जाता है।
  • दुःस्वप्न से राहत पाने के लिए भी यह पूजा की जाती है।